ऋषि के चुप रहने से संचिता के मन में एक उम्मीद सी जगी , कि शायद ऋषि भी उसकी तरह ही कुछ अलग सी फीलिंग रखता हो , जिसका मतलब तो संचिता अभी तक निकाल नहीं पाई थी , लेकिन ये तो वह समझ गई थी , कि ये फीलिंग्स दोस्ती नहीं हैं , बल्कि शायद कुछ और हैं और उसे ऋषि से इस वक्त यही सुनने की अपेक्षा थी । उसे लग रहा था , जैसे वो इन फीलिंग्स को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रही है , वैसे ही फीलिंग्स शायद ऋषि के मन में भी हैं