भवभूति के नाटकों में नाट्य वृत्तियों का विश्लेषण

  • 4k
  • 2.4k

संस्कृत नाटकों के विशाल साहित्यकाश मै जिन किंचित नाटक कारों रूपी सितारों की चमक आज भी विद्यमान है उनमें भवभूति अग्रगण्य है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के जीवन्त स्वरों को तो अपनी नाट्य कला में मुखरित किया ही है , किंतु नाट्य धर्मिता की दृष्टि से भी उनके नाटक कसौटी पर खरे उतरते हैं। इस लेख में नाटकीय कार्य व्यापार के एक अत्यंत आवश्यक तत्व नाट्य वृत्ति पर ही ध्यानाकर्षण किया गया है।वृत्ति चाहे कायिक हो या मानसिक क्रिया की बोधक होती है। उसकी अभिव्यक्ति में वाणी का बहुत बड़ा योगदान रहता है। वृत्ति से तात्पर्य ---"-नायक का कार्य व्यापारात्मक स्वभाव