जीवन वीणा - 7

  • 5.5k
  • 2.5k

काम तत्व के साथ, धर्म की मर्यादा को जोड़ा जाए ।तभी मोक्ष का साधन बनता,वरना भवबंधन बन जाए।।धर्म हीन जो काम,शोक,संताप,रोग लाए शैतानी ।वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी हमने जानी।।जीवन वीणा के झंकृत स्वर,जब गूंजें अंतर आंगन में ।प्रेम प्रवाह बहे अंतर्मन, सिमट जायं सब अपनेपन में।।अनगढ़ लहरें हृदय सिंधु कीं, खुद उच्चारें प्रेम कहानी ।वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी हमने जानी ।।यह अमूल्य उपहार प्रकृति का,परिवर्तनकारी हरगति का।सीख लिया यदि इसे बजाना,मिल जाए रस्ता सद्गति का।।वीणा की उत्ताल तरंगें,लगतीं सबको बहुत सुहानी ।वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी हमने जानी।।शौक शौक