झँकवैया

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मैं जानती हूँ मेरी पीठ पीछे लोगों ने मुझे तीन-तीन नाम दे रखे हैं; गपिया, गौसिप और झँकवैया । आप सोचते हैं मैं दूसरों की एकांतता पर अतिक्रमण करती हूँ? उनके भेद जानने और खोलने का मुझे चाव है? या फिर सोचते हैं निंदा सुख का लोभ है मुझे? गलत नतीजों पर पहुँचने की लत है? और दूसरों के सच को मैं तोड़-मरोड़ कर पेश किया करती हूँ? गलत... गलत... एकदम गलत... बल्कि मैं तो हर हेर-फेर से ऊपर हूँ । किसी के भी सच को कभी उलटती-पलटती नहीं, केवल तथ्यों को संदिग्धता की ओट से बाहर निकालकर निश्चिति प्रदान