अनजान रीश्ता - 79

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पारुल बस बैचैन होकर टहलते हुए सोच रही थी की अविनाश को कैसे रोके । क्योंकि पारुल में इतनी हिम्मत नहीं थी की वह अपने मॉम डैड का सामना कर सके और सेम उसे कैसे मिलेंगी। क्या कहेगी!? । ये चिंता पारुल को खाए जा रही थी । तभी वेनिटी का दरवाजा खुलने की आवाज आती है । पारुल बेकरार होते हुए अविनाश से कहने वाली होती है । पारुल: अवि!! ( सामने जाते हुए ) । विशी: वोह!! रिलेक्स पारुल! इतनी क्या जल्दी है कि तुम उस गधे के लिए इतनी बेकरार हो रही हो!? । पारुल: विशी... मजाक