भूतो का गाँव....

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वीरान इलाका और अमावस्या की अँधेरी रात ,संजय और दीपक एक सड़क से होकर गुजर रहे थें,रह रहकर जानवरों की आवाजें आ रही थी,कहीं पेड़ो से चमगादड़ लटक रहे थे तो कहीं उल्लू अपनी बड़ी बड़ी आँखों के साथ अपने कोटरों में बैठे हर आने जाने वालों को घूर रहे थे,दोनों को थोड़ा डर भी लग रहा था,इसलिए अपनी कार के शीशे चढ़ाकर तेज रफ्तार में चले जा रहे थे कि कैसें भी करके शहर तक पहुँच जाएं, किसी दोस्त की बर्थडे पार्टी थी शहर से दूर उसके फार्महाउस पर,खूब मस्ती हुई आपस में,दारू-शारू भी चली,सारे दोस्तों ने ज्यादा