शेखर मेडिकल कॉलेज पहुँचता हैं।रुम नम्बर306 में सिम्मी मरीज बन कर बेड में लेटी हुई है।और खिडकी की बाहर अमरूद की पेड़ में नजर टिकाई हुई है उस पेड़ में दो चिड़या को आँख मिचौली करते हुए देखती है।वेदांत के याद में खो जाती है।और कई हसीन सपनें दिन में ही देखने लगती है।सिम्मी वेदांत के इश्क में पागल हो चुकी है।अपने आप में बाते करने लगती है।मैं बड़ा भाग्यशाली औरत हुँ कि वेदांत जैसा महान व्यक्ति के अर्धांगनी बनूँगी।मैं एक गाँव की भोली -भली सूरत वाली लड़की हूं।मैं चकाचौन्द की दुनिया से अनभिज्ञ हूँ।मोनिका के बारे में उस सज्जन