मीना कुमारी... दर्द भरी एक दास्तां - 3

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बचपन के बाद जवानी में कदम रखने के बाद भी मीना कुमारी का बोझ कम नहीं हुआ, दिन-ब-दिन बोझ और बढ़ता गया मीना कुमारी सुबह से रात तक काम करके जब आप घर आती तो घर में सुकून की बजाए, अब आए दिन मां-बाप में झगड़े होने लगे, वो अंदर ही अंदर टूटती रहती | रात को अपने बिस्तर पर पत्थर रखती और पत्थरों से बात किया करती और कहती यह पत्थर भी कितने सच्चे दोस्त हैं इनको कुछ भी कहो यह कभी नाराज नहीं होते और मेरी हर बात को सुनते और समझते हैं | मीना कुमारी को जब भी