प्यार के इन्द्रधुनष - 28

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- 28- तीन-चार दिन बाद अनिता डॉ. वर्मा से बातचीत करने के लिए उसके केबिन में आई। नमस्ते के आदान-प्रदान के उपरान्त अनिता ने शुरुआत करते हुए कहा - ‘डॉ. साहब, मैंने आपकी सलाह पर शान्त मन से विचार किया है। मेरी पहली शंका तो यह है कि क्या आपके मित्र के मित्र मुझ ईसाई धर्म की अनुयायी के साथ विवाह के लिये सहमत होंगे? दूसरे, क्या वह एक तलाकशुदा स्त्री को स्वीकार कर पाएँगे, क्योंकि प्राय: तलाकशुदा आदमी भी दूसरी पत्नी के रूप में कुँवारी लड़की की चाह रखता है?’ ‘अनिता, तुम्हारी दोनों शंकाएँ निर्मूल नहीं हैं। मैंने अपने