अनजान रीश्ता - 75

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अविनाश रेड़ी होकर.... दरवाजा खोलने ही वाला होता है की वह पारुल से टकराता है। जिस वजह से वह दोनो सिर को सहलाते हुए कहता है । अविनाश: देख कर नहीं चल सकती थी! क्या!? । पारुल: ( उल्टा जवाब देते हुए ) तुम भी तो देख के चल सकते थे । अविनाश: तुमसे बात करना ही बेकार है ।... फॉरगेट ईट... रमा थोड़ी देर में तुम्हारे कपड़े लेके आयेगी। उसमे से कुछ अच्छा ढंग का पहनके आओ। हमे वैसे भी देर हो रही है। पारुल: ( सवाल पूछते हुए ) वैट... हम से तुम्हारा क्या मतलब है!!! मैं तुम्हारे