विशी टेंशन में जैसे तैसे पागलों की तरह अविनाश के घर पहुंचता है । गेट को खोलते हुए वह सोचता है कि सारे गार्ड्स कहां गए। उसके दिल में घबराहट बढ़ रही थी । वह जल्दी से कार को पार्क करते हुए मुख्य द्वार खोलते हुए घर में दाखिल होता है । हॉल में अंधेरा था । सिर्फ बार की लाईट जल रही थी । तो उसे लगा कि अविनाश को शराब पीते हुए चौंट लगी होगी । वह उसी कमरे की और आगे बढ़ता है । की तभी आवाज आती है। अविनाश: विशी.... मैं यहां हूं!!? । विशी: (