अनजान रीश्ता - 72

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अविनाश कमरे से निकलकर सीढ़ियों से उतर कर सीधा बार पर जाकर बैठता है । उसका दिल थमने का नाम ही नहीं ले रहा । वह बोतल को खोलने की कोशिश करता है लेकिन ढक्कन को जोर से खोलने के प्रयास में उसके हाथ में लगे जख्म में से फिर से खून बहने लगता है । वह हाथ को हवा में पटकता है जिस वजह से खून के छींटे हवा में इधर उधर गिर रहे थे । अविनाश के हाथ में से कुछ ज्यादा ही खून बह रहा था पर उसे इस बात से शायद ही फर्क पड़ रहा था।