सत्या के पैर में चोट लगी थी इसलिए वो प्रवचन सुनने ना गया,कजरी को उलझनों ने घेर रखा था और सोमनाथ को बाबाओं के प्रवचन ढ़ोग लगते थे।। सत्या लेटकर कजरी के बारें में सोच रहा था कि उससे मैं कैसे पूछूँ कि जब तुम जिन्दा थी तो मेरे पास वापस क्यों नहीं आई? और कजरी ये सोच रही थी कि जब सत्या ने मुझे देखा तो पहचाना क्यों नहीं,बोला क्यों नहीं?ये सत्या है भी या नहीं।। सोमनाथ सोच रहा था कि आज एक भी मरीज नहीं आएं,सब उस ढ़ोगी बाबा के प्रवचन सुनने चले गए,शायद अब