योग

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तमिल कहानी लेखिका आर.चूड़ामणी अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा उम्र तो पचास साल की हो गई। शरीर में पहले जैसे ताकत भी नही है। फिर क्या जरूरत है अब भी तकलीफ पाने की?, ‘‘खाना बनाने के लिए एक आदमी को रख लो अम्मा। और तुम आराम से रहो।’’ पुत्र ने अपनत्व से अपनी अम्मा से कहा। बहू भी बोली ‘‘इतने दिनों बच्चों के लिए आपने बहुत तकलीफ उठा ली वो कम है क्या अम्मा अब तो आराम से रहो।’’ ये बाते सुन चेल्लम को गर्व हुआ। यही नहीं उसे सभी लोग सब जगह उन्हे प्यार व सम्मान देते हैं। अम्मा को