तमिल कहानी उमा जानकी रामन अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा बाहर से कुछ आवाज आई। मैंने सिर्फ थोड़ा सा सिर बाहर करके झांका तो देखा सास लक्ष्मी एक बडे थैले को लेकर आ रहीं थी। ऐ बात पन्द्रह दिन में एक बार होती रहती है। पति चन्द्रषेखर की तेज आवाज पीछे से सुनाई दी। ‘‘अम्मा आ रही है, अमुदा दौड़कर जाकर थैले को लेकर आओ।’’ ‘‘मेरा नाम अमुदा नहीं अन्नपुर्णी है।’’ ऐसा जोर से बोलकर अपने को साबित करूं मुझे ऐसा लगा। परन्तु इस बीस से अधिक वर्षो में मेरे शब्द गले में फंस कर रह गए। और मैं गूगी ही