ये उन दिनों की बात है - 41

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"मैं बहुत परेशान हूँ, दिव्या | क्या कल हम मिल सकते हैं?मैं तुम्हारा रामनिवास बाग में इंतज़ार करूँगा |तुम्हारा सागर" | बस इतना ही लिखा था उस चिट्ठी में |कल मुझे प्रवेश पत्र भी लेने जाना था | अगले सप्ताह से बारहवीं की परीक्षाएँ शुरू होने वाली थी | ****************************************************************** दुसरे दिन मैं स्कूल से प्रवेश पत्र लेकर सीधे रामनिवास बाग पहुंची | सागर पहले से ही वहाँ था |ये तुम्हारे हाथ में क्या है?प्रवेश पत्र!!अच्छा! एग्जाम डेट्स आ गई?हाँ |कबसे है? अगले सप्ताह |गुड! अच्छी तरह से स्टडी करना |हम्म्म..........सारे टॉपिक्स अच्छे से कवर कर लिए ना |हम्म्म.........टाइम मैनेजमेंट