" तुम्हारा नाम क्या है ?" ए वहीं सवाल है, जिसके बाद यमदूत ने वहा रुकना जरूरी नहीं समझा। रुक कर करता भी क्या ? यमदूत बनने के बाद उन्हें एक नंबर मिला था, कोई नाम नही। कोई सरनेम नही। सिर्फ एक नंबर। और अगर वीर प्रताप की माने तो यमदूत बनना ही उसके बुरे कर्मों की सजा है। सनी के पूछे उस सवाल के बाद वह किसी काम का बहाना दे वहां से निकल आया था। सनी हमेशा उसे एक नई उलझन में डाल देती है। पर फिर भी उसे उससे मिलना है। मिलना तो पड़ेगा ही यही उनकी