कजरी कुएंँ पर पहुँची,मटके और पीतल के कलश को जमीन पर रखा,फिर कलश में रस्सी बाँधकर जैसे ही कुएँ में लटकाया तो किसी ने पीछे से पुकारा.... सुनिए! बहुत प्यास लगी है,थोड़ा पानी मिलेगा क्या? कजरी ने पीछे पलटकर देखा तो कोई नवयुवक था,जो कि इस गाँव का नहीं लग रहा था,उसे देखकर कजरी बोली.... हाँ..हाँ..क्यों नहीं? मैं अभी कुएँ से पानी खींचकर आपको पिलाती हूँ,इतना कहकर कजरी ने कुएँ से पानी से भरा कलश खींचा और उस नवयुवक से कहा... लीजिए,पानी लीजिए... फिर कजरी कलश से नवयुवक की अंजुली में पानी भरने लगी और नवयुवक अंजुली