सत्या झोला लेकर बगीचें में पहुँचा,कुछ देर उसने पेड़ के नीचे बैठकर कजरी का इन्तज़ार किया लेकिन कजरी नहीं आई,जब कजरी नहीं आई तो उसने बड़े खराब मन से नींबू तोड़े और सोचा चलो कुछ देर और कजरी का इन्तज़ार कर लेता हूँ,सत्या इन्तज़ार करते करते थक गया लेकिन फिर भी उस दिन कजरी बगीचें में नहीं आई,तब निराश होकर सत्यसुन्दर फार्महाउस वापस आ गया,सत्या को देखकर काशी ने पूछा... आ गए छोटे मालिक! हाँ!काका! सत्या ने बड़े बोझिल मन से जवाब दिया।। का हुआ छोटे मालिक! इत्ता उदास काहें दिख रहो हो,ज्यादा थक गए क्या? काशी ने पूछा।। नहीं