स्त्री.....(भाग-5)धीरे धीरे मैं अपनी सास के निर्देशों का पालन करते हुए घर के सभी उनकी तरहसे करना सीख रही थी.....वो जैसे कहती मैं वैसे बिना कुछ कहे और पूछे करती जाती, इससे वो बहुत खुश रहती थीं और उनके खुश रहने से मुझे भी खुशी होती...। मेरी ननद और देवर का व्यवहार मेरे साथ बहुत अच्छा था। सच कहूँ तो दीदी मेरी सहेली बन गयी थी......मैं पढाई में बहुत मेहनत कर रही थी। समय रेत की तरह हाथ से फिसलता सा महसूस हो रहा था। दिन भर घर के काम और पढाई में ही उलझी रहती......बस पति से एक दूरी