"कहो पुस्तकालय! कैसे हो : एक निजी संवाद" सोच रहा था कि पुस्तकालय जाऊं तथा वहां की स्थिति को देखूं। लेकिन कार्य की व्यस्तता के कारण जाने का अवसर प्राप्त नहीं हो रहा था। आज अचानक बहुत दिनों के बाद पुस्तकालय गया। वहां पुस्तकालय से संवाद करने का अवसर प्राप्त हुआ। पुस्तकालय से संवाद करने के क्रम में पुस्तकालय के दुःख को जानने-समझने का अवसर प्राप्त हुआ। सबसे पहले पुस्तकालय में ग्रंथों के ऊपर धूल की मोटी परत देखकर अचरज हुआ। पुस्तकालय के स्थान को देखा। एक कोने में पुस्तकालय को स्थापित कर दिया गया था। किसी