पीली पतंग

  • 3.8k
  • 1
  • 1.4k

तमिल कहानी लेखिका उमा जानकी रामन अनुवाद एस.भाग्यम शर्मा विशाली अभी तक नहीं उठी। पाँच बजते ही जैसे रबड़ के गंेद के समान उछल कर उठ जाने वाली विशाली आज विस्तर पर सिकुड़ कर पड़ी है। ‘‘विशा.... गुड मार्निग!’’ पास जाकर वासु ने उसे छुआ तो उसका दिल घबरा गया क्यों कि उसका शरीर बुखार से तप रहा था। ‘‘अरे तुम्हें क्या हो गया है?’’ वासु ने घबराकर पूछा ‘‘उमं ...पूरी रात बहुत सिर दर्द हो रहा था। अब देखो तो बुखार आ गया। उल्टी आयेगी ऐसा भी लग रहा है।’’ ‘‘मुझे क्यों नहीं जगाया? कैसी लड़की हो तुम? चलो