अधिराज वापस अपने महल पहुंचता है और अपना काम पूरा करके अपने कमरे में पहुंचता हैं "। ..नीलदर्पण .... आरुषि को दिखाओ.... ये तो सो गयीा इतनी जल्दी... कोई बात नहीं कल मिलूंंगा इससे ........पता नहीं क्या खास बात हैं इसमेंं पहली नजर में ही अपना बना लिया ....."अगली सुबह अधिराज बिना किसी को बताऐ इंसानी दुनिया में पहुंच जाता है.....कंचन : आरुषि...! अर्जुन तुझे ढुंढ रहा हैं...!आरुषि : कहां है वो ....!कंचन : पार्क में गया हैं अभी ....!आरुषि : ठीक है...!********"" हेलो ..मिस्टर गिटारिस्ट....! """"आरुषि.. मैं तुम्हें ही ढुंढ रहा था..."" हां कंचन ने बताया मुझे ..तुम कब आये