69 झाबुआ की घटनाओं ने समिधा के जीवन में फिर से ऐसे कई अनुत्तरित प्रश्न खड़े कर दिए जिनके बारे में उसने सोचना छोड़ दिया था | अपने मित्र सान्याल के अचानक इस संसार से विलुप्त हो जाने पर समिधा के मन में उगे हुए उलझे प्रश्नों को सारांश के अतिरिक्त कोई समझने वाला नहीं था | वह बहुत व्यस्त रहने लगा था | समय इस द्रुत गति से भाग रहा था मानो सबको अपने पीछे भगाना ही उसका मकसद हो, होता भी यही है | बच्चे अपने में समर्थ होने लगे, सुमित्रा का उनका ध्यान रखना पर्याप्त था |