पवित्र प्रेम (अंतिम किश्त)

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हुमायूं के दिल मे लगी आग गुलनार को भी सुलगा रही है।वह दौड़ी हुई हुमायु के कक्ष में आयी।भागने की वजह से उसकी सांसे फूल गयी थी।"क्या हुआ नादिरा?इस तरह दौड़ी हुई क्यो आयी हो?कही कुछ?"हुजूर गज़ब हो गया?""कैसा गज़ब,"हुमायूं चोंक कर बोला"कही कुछ गड़बड़ तो नही हो गयी?'"हुज़ूर यह मत पूछो की क्या हुआ है?""पहलियाँ ही बुझाती रहोगी।या कुछ बताओगी भी?""हुज़ूर गुलनार को भी आप से प्यार हो गया है।""सच," नादिरा की बात सुनकर हुमायूं बोला।"सच कह रही हूँ।"और नादिरा ने हुमायूं को सारी बात बता दी।गुलनार के बारे में जानकर हुमायूं की खुशी का ठिकाना नही रहा।हुमायूं अभी