रूपगर्विता

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इसमें कोई शक नहीं था कि वह रूपवती थी और वह भी ‘मुग्धा’ नहीं ‘गर्विता’ |वह मेरे पड़ोस की आंटी के पाँच बेटियों में सबसे छोटी थी |वह पैदा ही मोम की गुड़िया -सी हुई थी |उसे जो भी देखता ,प्यार करता |मेरा तो स्कूल के अलावा सारा समय उसके साथ ही गुजरता |आंटी मज़ाक में कहतीं –बुढ़ापे के बच्चे सुंदर ही होते हैं |वैसे उससे बड़ी चार बहनें भी कम सुंदर नहीं थीं ,पर सुधा की बात कुछ और ही थी |बचपन से ही वह वह अपने रूप के प्रति सजग और सतर्क थी |तरह-तरह के मेकअप की जानकार