तमिल कहानी लेखिका माधंगी जयरामन अनुवाद एस.भाग्यम शर्मा ‘‘हम गोद ले’’ जैसे ही मैने कहा मेरे पति ने मुझे घूर कर देखा। ‘‘क्यों हमारी दो बेटियों की शरारत कम लगी क्या ? तुम्हें एक बेटे की इच्छा है तुमने पहले नहीं कहा?’’ व्यंग्य से बोले। मेरी आँखों में जो इन्होने खामोशी देखी उन्हें मेरे पक्के इरादे समझ गये। मजाक छोड़ उन्होने कहा ‘‘सॉरी ! क्या कहना चाहती हो साफ बोलो ना?’’ मेरे उद्देश्य व इरादे को देख वे गौरवांवित हुए। ‘‘तुम्हारे फैसले से मैं गर्व का अनुभव कर रहा हूँ। हम दोनो अपने दोनो बच्चों को तरीके से समझा देंगे।