ये उन दिनों की बात है - 39

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सागर, बेटा! नीचे आ जाओ, नाश्ता तैयार है!आओ पिंकी! नीचे चले |पिंकी को सुलाते-सुलाते सागर उसी के पास ही सो गया था |खाने की टेबल पर दादा दादी सागर का इंतज़ार कर रहे थे |हमें सागर से बात तो करनी पड़ेगी, इस तरह पिंकी को यहाँ घर पर रखना ठीक नहीं | इतने में सागर और पिंकी तैयार होकर नीचे आये |पिंकी ने गुलाबी रंग की फ्रॉक पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत ही प्यारी लग रही बिलकुल किसी राजकुमारी की तरह |दादी ने उसकी तरफ देखकर वात्सल्य भरी मुस्कान दी |दादाजी, पिंकी का एडमिशन अच्छे से स्कूल में करा