हम कैसे आगे बढे - भाग २

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११. चतुराई एक घने जंगल में एक हाथी अपने झुण्ड से भटककर घूम रहा था। वह थक चुका था और एक वृक्ष के नीचे आराम करने के लिये खड़ा हो गया। वह रूक-रूक कर चिंघाड़ रहा था। उसी पेड़ पर एक बन्दर विश्राम कर रहा था। हाथी की चिंघाड़ से उसकी निद्रा में व्यवधान आ रहा था। उसने हाथी से अनुरोध किया कि आप कहीं और जाकर विश्राम करने चले जाएं। मैं इस वृक्ष पर अनेक वर्षों से रह रहा हूँ। आपकी आवाज से मैं आराम नहीं