गर्भस्य और स्त्री मन

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दुनिया की हर औरत माँ बनना अपना शौभाग्य समझती हैं. उसका सपना होता हैं कि जब वो मरे तो नाती-पोतियों वाली होकर मरे. अगर वो किसी कारण से माँ नही बन सकी है तो उसने इस सुख से पुरुष और परिवार को कभी वंचित नही रखा. चाहे उसके माँ बनने का तरीका कुछ भी रहा हो जैसे दूसरा निकाह या आईवीएफ, उसने सदैव ऐसी विकट परिस्थितीयों में अपनी स्वीकृति दी हैं. लेकिन औरत मात्र बच्चे पैदा करने की कोई मशीन नही है यह बात पुरुष कभी नही समझ पाया. भारतीय समाज में विशेष रूप से मुस्लिम समाज में आज भी एक औरत पर बच्चा पैदा करने का जो दबाव बना रहता है उसे बताने की आवशयकता नही है. वो हर समय इसी दुख के साथ जीवन जिया करती है कि बिना माँ बने कहीं उसे घर से निकाल न दिया जाये.