ऑफ़िस - ऑफ़िस - 2

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मेरे पास पहुंचते ही उसने अपने पांव के पास पड़ा पीकदान उठाया और एक पिचकारी दे मारी उसमें और वापस पीकदान को अपने पांव के पास रख दिया। मुझे बाहर चपरासी के कहे शब्द याद आ गये "साहब बड़े ही कड़क हैं उनके सामने मुंह में कुछ ठूंस के जाना....तभी मेरी नज़र उसके ठीक पीछे दीवार से चिपके एक स्टिकर पर पड़ी, जिसपर लिखा था..."अपने आसपास सफ़ाई बनाये रखने की आदत ही हमें अपने शहर को स्वच्छ बनाये रखने के लिये प्रेरित करती है" जी में आया कि उसे अपने पीछे लगे स्टिकर की याद दिलाऊं मग़र मैं चुप रहा। मुझे लग