तमिल कहानी के लेखक कुमार (सीताराम) है अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा विघ्नेश, सिर के ऊपर भारी बस्ते को लटका कर बस से उतर कर घर की ओर दौड़ता है। ये उसके पंसद के कामों में से एक है। कुछ बच्चे बस्ते को कन्धे पर लटकाते है, कुछ हाथ मे पकड़ कर लाते है। पर सब बच्चे उसके पीछे ही रह जाते है। उन्हे देख विघ्नेश की खुशी कई गुणी बढ़ जाती है। ‘‘ऐसा दौड़ो मत कुत्ते पीछे पडेगे’’ उसकी बडी बहन पूर्वा चिल्लाती। पर जन चारों तरफ लोगों को खडे़ देख अपनी आवाज को धीमें कर दांत पीस कर वह