मन

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सुरसतिया अपने माता पिता की चौथी संतान थी । चारो बच्चो में 3 लड़कियां थी और एक लड़का ।परिवार में कोई जमीन नही थी । मिट्टी के दीवार पर फूस का छप्पर था । भाई को छोड़कर घर के सभी लोग खेतो पर और गांव के बड़े आदमियो के यहाँ मजदूरी करते थे । मजदूरी से घर का खर्च चल जाता था । गांव के बड़े लोगो के घरों में काम करने के लिये भी सुरसतिया , उसकी बहने और माँ जाती थी । वहां नाप के मजदूरी तो नही मिलती थी , लेकिन कुछ खाने को तथा पुराने छोड़े