अपने घर का बेटा

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लेखक मीनासुन्दर तमिल कहानी  अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा अम्मा सुबह से ही बहुत व्यस्त है क्योंकि करीब तीन साल बाद रवि आज आ रहा है। रवि, मेरे साथ पढ़ा हुआ है। मेरा करीबी दोस्त है। ऐसा भी कह सकते है कि वह अम्मा का दूसरा बेटा है ऐसा कहना ज्यादा सही होगा । मुझसे ज्यादा अम्मा उसे पंसद करती थी। उसे क्या पंसद है, उसे क्या चाहिये पूछ-पूछ कर बनाती थी। हमारे मोहल्ले में ही चार घर छोड़कर उसके मामा के मकान में रह कर रवि पढ़ता था। उसके मामा केन्द्रीय राजकीय नौकरी में थे। उनका जब दिल्ली तबादला हुआ