मैं चोर नही हूँ (अंतिम किश्त)

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चम्पा ने दो टूक शब्दों में अपना फैसला सुना दिया था।जयराम ने चम्पा को समझाना चाहा।पर व्यर्थ।चम्पा कोरे आश्वासन पर समर्पण के लिए तैयार नही थी।जयराम की समझ मे चम्पा का व्यहार नही आया था।सुहागरात को औरत पहली बार पति से मिलन के लिए उत्सुक रहती है।लेकिन चम्पा अपनी मांग को लेकर ज़िद्द पर अड़ गयी।चम्पा का मानना था कि अगर वह आज समर्पण कर देगी तो फिर अपनी मांग कभी पूरी नही करा पाएगी।इसलिए उसने समर्पण से पहले शर्त रख दी थी। सुहागरात का सपना हर औरत और आदमी देखता है।क्योंकि सुहागरात हर औरत मर्द की ज़िंदगी मे सिर्फ