प्यार के इन्द्रधुनष - 24

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- 24 - सुबह-शाम की ठंड होने लगी थी। रात को पंखा भी आधी रात के बाद बन्द करना पड़ता था या हल्के-से कंबल की ज़रूरत महसूस होती थी। ऐसे ही एक दिन सुबह-सुबह रेनु के पास डॉ. वर्मा का फ़ोन आया। रेनु ने अभी बिस्तर का त्याग नहीं किया था, क्योंकि स्पन्दन जाग गई थी। उसने ‘पापा, पापा’ की रट लगा रखी थी और रेनु उसे शान्त कराने के प्रयास में जुटी थी। रेनु ने मोबाइल ऑन तो कर लिया था, किन्तु अभी उत्तर नहीं दे पाई थी कि डॉ. वर्मा ने पूछा - ‘रेनु, स्पन्दन क्यों रो रही