प्यार के इन्द्रधुनष - 22

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- 22 - आज प्रातः चिड़ियों की हृदय-विमोहक चहचहाहट सुनकर जैसे ही डॉ. वर्मा की आँख खुली, वह बेड पर ही आलथी-पालथी मारकर बैठ गई और सोचने लगी - आज स्पन्दन एक वर्ष की हो गई है। चाहे रेनु की कोख से उसने जन्म लिया है और वे ही उसे पाल-पोस रहे हैं, फिर भी मुझे एक माँ के सुख की अनुभूति होती है जब-जब वह मेरी ओर आँखें फैलाकर देखती है या मेरी छाती से लगी होती है। रोती हुई स्पन्दन मेरी छाती से लगकर तुरन्त चुप हो जाती है। ज़रूरी तो नहीं कि कोख से जायी सन्तान के