प्यार के इन्द्रधुनष - 19

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- 19 - रेनु को जब मनमोहन ने फ़ोन पर बताया था कि डॉ. वर्मा पचास लाख रुपए जीत गई है और उसने पच्चीस लाख गुड्डू के नाम जमा करवाने की सोची है, तब एक बार तो उसे बड़ी प्रसन्नता हुई थी, किन्तु उस रात बिस्तर पर लेटे हुए उसके मन में शंका का कीड़ा कुलबुलाने लगा। मानव-मन की प्रवृत्ति ही ऐसी है कि नकारात्मक विचार बहुत शीघ्र पनपते हैं। शंका करने का कोई आधार नहीं होता, व्यक्ति केवल कल्पना करता है कि ऐसा हुआ होगा! और यही उसकी सोच को विकृत करने लगता है। मन में एक बार शंका