प्यार के इन्द्रधुनष - 14

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- 14 - आज मुद्दतों बाद डॉ. वर्मा ने मनमोहन के साथ इतना लम्बा समय व्यतीत किया था। चाहे अधिकांश समय विमल की कहानी कहने-सुनने में ही व्यतीत हुआ, फिर भी कहीं भीतर मन में उसे अकेलेपन की भरपाई का अहसास भी हुआ। रात्रिभोज के उपरान्त बेड पर लेटी हुई डॉ. वर्मा विचारमग्न थी। सोच रही थी अनामिका के बारे में। क्या असामाजिक तत्त्वों की ब्लैकमेलिंग के कारण उसका जीवन चौपट हुआ, उसका ही नहीं, विमल का भी? अथवा अपनी नादानी का शिकार हुई होगी वह? मनु की बातों से तो लगता है जैसे कि अनामिका की मम्मी भी षड्यन्त्र