प्यार के इन्द्रधुनष - 8

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- 8 - सुबह से शाम हो गई, किन्तु रेनु की स्थिति जस-की-तस रही। मंजरी और मनमोहन चिंतित तो थे, लेकिन वे सिवा प्रतीक्षा के कुछ नहीं कर सकते थे। हाँ, डॉ. वर्मा के कारण वे आश्वस्त भी थे। जैसे ही शाम का राउंड लेने के बाद डॉ. वर्मा अपने केबिन में पहुँची, उसने अटेंडेंट को मनमोहन को  बुलाने के लिए भेजा। मनमोहन के आने पर उसने उसे समझाया - ‘देखो मनु, रेनु को लेकर तुम्हारी एंग्जाइटी को मैं समझ सकती हूँ। पेन्स बीच-बीच में बिल्कुल मंद पड़ जाते हैं। पेन्स इंडूस करने वाले इंजेक्शन का भी कोई असर नहीं