इश्क फरामोश - 11

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11. डर काहे का मम्मी को एअरपोर्ट से ले कर आ रही थी किरण. माँ-बेटी का मिलाप तीन साल के बाद हो रहा था. माँ ने देखते ही पहले उसे अपने सामने खड़ा कर के भरपूर नज़र से देखा था. एक माँ की नज़र से दिल को तसल्ली हुयी थी. बेटी का जिस्म कुछ भर आया था. मातृत्व की छाप साफ दिखाई दी थी. जो रोज़ साथ रहने वाले को शायद न दिखाई पड़ती. खुद किरण को महसूस नहीं हुयी थी क्यूंकि नीरू के पैदा होने के छः महीने के अन्दर ही उसके सभी कपडे उसे फिट आने लगे थे.