भाग (2) परेशान मन से जैसे-तैसे कार से मैं घर पर पहुँच गई । वहाँ जल्दी से बच्चों को तैयार किया और अपनी मनपसंद सिल्क की बनारसीसाड़ी को उतार कर दूसरी साड़ी बदली । यह सब करते हुए थोड़ा ही समय लगा था कि मूसलाधार वर्षा अब नन्ही बूँदों में परिवर्तित होगई । तभी घर की बुजुर्ग, बच्चों की बूआ जी ने आकर बताया कि मैंने छत पर उल्टा तवा रख दिया है, अब बारिश रुक जायेगी ।मुझेभीउनकी बात कुछ अटपटी लगी लेकिन उनकी बात का विश्वास करने के अलावा अन्य कोई चारा भी नहीं था । कुछ समय में