जु़र्म - 2

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2. मां की लगातार आवाज़ें जब व्यस्त अनुष्का तक पहुंची, वो घबराकर दौड़ती हुई अपरा के कमरे में पहुंच गई| और आते ही बोली... “आप कब से मुझे पुकार रही थी माँ?... सॉरी... मैं आपकी आवाज़ सुन नहीं पाई| मैं अपने कामों में इतना खो हुई थी कि कब बारिश शुरू हुई, आभास भी नहीं हुआ| सॉरी मम्मा अब मैं आ गई हूं न, आप बिल्कुल परेशान मत होइए|” बेटी का बार-बार सॉरी बोलना और बच्चों के जैसे समझाना अपरा को कचोट रहा था| उसको मन ही मन आत्मग्लानि हो रही थी| ताउम्र बच्चों का संबल बनने वाली, खुद बेटी