अनजान रीश्ता - 55

  • 7.1k
  • 2.6k

सेम और पारुल दोनो सारी रश्म में व्यस्त थे । अविनाश तो बस स्टेज की ओर ही देखे जा रहा था । ना कुछ बोल रहा था ना ही सुन रहा था । मानो उसका मन उसे सारी बाते भूल कर पारुल को कहीं दूर ले जाना चाहता था । जहां सिर्फ वह हो और पारुल हो । और ये जो भी दूरियां,नफरत सब भूल जाए और सिर्फ और सिर्फ ... काश । वह यह सोच ही रहा था । तब वह खुद के सिर को ना में हिलाते हुए सोचता है की वह अब कमजोर नहीं पड़ सकता और