यस मैडम

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"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इसमें सासों की.... " सुनीता नें पूरे चेहरे और हाथों के साथ अदाकारी करते हुए जैसे तजुर्बा बयान किया तो लगभग अवसाद की सी स्थिति में भी आर्या के होंठों पर मुस्कान तैर गई और सुनीता का तो पूरा मनोबल बढ़ गया उसको खुश देख कर। " मैं देखती नहीं क्या भाभीजी! आप दिन रात एक किये रहती हैं, नौकरी में भी लगी