बेपनाह - 21

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21 आखिर किसी तरह से वो पराठा खत्म किया और आधा कप चाय पीकर वो जाने को तैयार हो गयी । “शुभी सारा सामान डिक्की में रख लेते हैं फिर बाग देखते हुए उधर से ही वापस घर निकल जाएंगे।” “हाँ यह सही रहेगा ! वैसे भी दादी कह रही हैं कि बर्फ गिरने वाली है, कल वो चूड़ियों की दुकान वाले कह रहे थे कि आज बर्फ गिरेगी।” दादी दादा के पाँव छूकर उनका आशीर्वाद लिया और रूपोली को कुछ पैसे देकर उन लोगों ने वहाँ फिर आने का वादा कर के विदा ली । दादी जी ने उसे