बेपनाह - 18

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18 “ओय कितती सोंढ़ी है ! तूने अपनी माँ से मिलाया ?” “नहीं दादी पहले तू बता तुझे पसंद आई कि नहीं ?” “बहुत सुंदर है ! क्या नाम है तेरा बेटा ?” वे शुभी की तरफ देखती हुई बोली । “शुभी !” उसने शर्माते हुए बड़ा संक्षिप्त सा उत्तर दिया । “नाम में भी शुभ ! सुंदर भी है !” दादी के चेहरे पर मुस्कान खिल आई थी । यह सुनते ही शुभी को ऋषभ ने अपनी आँख से कोई इशारा किया । शुभी ने जल्दी से आगे बढ़कर दादी के पाँव छु लिए ! “खूब खुश रहो। सदा