काँटा

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उमा जानकी राम की तमिल मूल कहानी का अनुवाद एस.भाग्यम शर्मा मठ की गली से साग-सब्जी लेकर आते समय गली के कोने में मैंने वासु को देखा। अचानक उसके आमने-सामने पड़ते ही उससे क्या बात करूं एक मिनिट समझ नहीं पाया। ‘‘ कैसे हो मामा ! पदमा, वेणु सब कैसे हैं ? सब ठीक है ? ’’ ‘‘सब कुशल मंगल हैं। तुम कैसे हो भाई ! ’’ ‘‘ ऐसे ही हैं। अम्मा ही हमेंषा कह-कह कर दुखी होती रहती है। कहतीं हैं कि अप्पा के जाने के बाद आप घर की तरफ आते ही नहीं हैं। आपके परिवार के सभी