आज तड़के ही उठ बैठी थी राधा, उथ बैठी क्या पूरी रात सोई ही नहीं थी, मन में एक अजीब किस्म की बेचैनी थी और आंखें बार बार भर आती थीं। उठ कर उसने अपने पति की तरफ़ देखा, जो शायद बड़ी गहरी नींद में सो रहे थे। कुछ देर अपलक वो समीर को देखती रही, उसकी आंखें फ़िर डबडबा आयीं थीं । अपनी चुन्नी के कोने से अपनी आंखों को पोंछते हुए वो भारी मन से उठी । जब तक वो नहा कर बाथरूम से बाहर निकली तब तक समीर भी जाग गया था। अपने गीले बालों को झटकते हुए