सम्मान और अपमान

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सभी के मध्य एक बार किसी ने मुझे कुछ कहा, मैंने उस समय उसे ज़रा सी भी गंभीरता से नहीं लिया, दरअसल उस समय उसमें मुझे गंभीरता से लेने योग्य कुछ भी नहीं लगा। कुछ समय पश्चात वहाँ से जब मेरे मित्र ने हमारे गंतव्य स्थान के लिये मेरे साथ प्रस्थान किया तो मार्ग में वह मुझसे कहने लगा कि उसने तुम्हारा इतना बड़ा अपमान कर दिया और तुमनें उसे सह लिया, वह अपमान तुम्हारा कर रहा था तब मैं उसका विरोध तत्काल की करने जा रहा था परंतु जितना तुम्हारा अपमान करना मुझें अनुचित लग रहा था उतना ही